अब जब रात के आखरी पहर में ये लिखने बैठ रहा हूं तो शायद राहुल गांधी जी अपनी माता जी के इलाज के लिए अमेरिका उड़ चुके होंगे! और अगले कुछ दिनों तक वो अमेरिका में रहेंगे ! लेकिन सवाल कुछ और है! संघर्ष के इस दौर में हर चुनाव के बाद ( गौरतलब है कि ज्यादातर चुनाव में कांग्रेस असफल हो रही है )राहुल गांधी का विदेश चले जाना क्या आखिरी गांव ढाणी में काँग्रेस की नीति और रीति को लोगों तक पहुंचाने वाले काँग्रेस कार्यकर्ता के मन में सवाल नहीं उठाता? और सवाल हो भी क्यों ना?
जीत के इस दौर में भी उनकी विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दूसरे राज्य को जीतने के तरीकों पर काम करने लग जाते हैं तो वहीं काँग्रेस अध्यक्ष के बार-बार आने वाली विश्राम अवस्था ही काँग्रेस को रसातल में पहुंचा रही है? लग यही रहा है! क्योंकि नेतृत्व का पहला गुण है आपको अपने लक्ष्य के लिए बहुत समझौते करने होंगे, आपको परिश्रम की आग में तपना पड़ेगा ! यहा राहुल गांधी जी के अपनी माता के साथ जाने को मैं गलत नहीं कह रहा हूं !पुत्र के रूप में ये उनकी महती और प्राथमिक ज़िम्मेदारी है जिनका उनको निर्वहन करना ही चाइये! राहुल की कांग्रेस में बड़े ज़मीनी आधार वाले नेताओं को बड़ी ज़िम्मेदारी देकर ज़मीन पर उतरना होगा !
जैसा उन्होंने मध्यप्रदेश में किया! राहुल जी को विरोध करने के तरीके बदलने होंगे ! ज़मीन पर उनको सरकार का विरोध करना पड़ेगा क्योंकि ट्विटर के चैलेंज से ग्रामीण जनता जो की इस देश में बड़े हिस्से में है उन्हें पता ही नहीं चलेगा की कोई उनके लिए लड़ रहा है! उनके हकों के लिए लड़ रहा है! राहुल जी के पास मौका था पेट्रोल/डीजल के दाम जब अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है तो वो सरकार के खिलाफ दिल्ली की सड़कों, जंतरमंतर पर सरकार के खिलाफ लड़ते, लेकिन वो लड़ नहीं पाए , मुमकिन है जब तक राहुल जी देश लौटे सरकार पेट्रोल /डीजल के दाम घटा दे !
देखिये आपको ये समझना होगा कि अगर आप विपक्ष में हैं तो आपको जनता को अहसास करवाना होगा कि आप उनके लिए आखरी पायदान पर आकर लड़ रहे हैं वरना गंभीरता के आकलन से ही जनता इस दौर में सत्ता बना और बिगाड़ रही है! आप सोनिया जी की ही तरह संगठन को पूर्ण रूप से संभालते हुए प्रधानमंत्री का उम्मीदवार किसी अन्य बड़े कांग्रेसी नेता को घोषित कर सकते है आपके पास अशोक गेहलोत , सैम पित्रोदा , कमलनाथ जैसे जमीनी और साध्य नेता है ! राहुल की काँग्रेस में बदलाव ही इस दौर की महती आवश्यकता है !
आप को ईमानदारी और मेहनत के मापदंड तय करने होंगे , फैक्ट्स से बात करनी होंगी आप अपने विपक्ष के तरह झूठ से सरकार नहीं बना सकते !
राहुल की काँग्रेस का मंत्र अब सिर्फ और सिर्फ परिश्रम की ज्वाला में तपना ही होना चाहिये! क्योंकि यही आपकी मूल्यों की राजनीति को वापस देश के कोने-कोने तक पहुंचा सकते है!
आपकी माता जी की अच्छी स्वास्थ्य की कामना के साथ इस अंक में इतना ही !
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