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थरूर का हिंदू पाकिस्तान वाला बयान कॉंग्रेस को भारी ना पड़ जाए

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हिन्दू, मुस्लिम और पाकिस्तान तीनों ही शब्दों का भारतीय राजनीति में अथाह प्रभाव है। अबकी बार कॉंग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने इन शब्दों का रसास्वादन किया।

थरूर ने तिरुवनंतपुरम में कहा,

भारतीय जनता पार्टी अगर साल 2019 में जीतती है, तो वह नया संविधान लिखेगी, जिससे यह देश हिन्दू पाकिस्तान बनने की राह पर अग्रसर होगा जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कोई सम्मान नहीं किया जाता है।

इस बयान से थरूर उस कट्टर मुस्लिम वोट बैंक को साधना चाहते थे जो कॉंग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्ववादी चेहरे के कारण उनसे छिटक रहा था। उधर सॉफ्ट हिंदुत्व से गुजरात में लाभान्वित हुए राहुल गांधी थरूर के बयान से इस कदर खफा हुए कि कॉंग्रेस प्रवक्ताओं की पूरी टीम थरूर के बयान को उनका निजी बयान बताने के लिए जनसंचार पटल पर उतर आई है।

कॉंग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा,

भारत के मूल्य और मूल सिद्धांत हमारी सभ्यतागत भूमिका की स्पष्ट गैरेंटी देते हैं। कॉंग्रेस के सभी नेताओं को बीजेपी की घृणा को खरिज करने के लिए शब्द एवं वाक्य बोलते समय इस बात का एहसास होना चाहिए कि यह ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी हमारे कंधों पर है।

कॉंग्रेस के अन्य प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा,

भारत का लोकतंत्र इतना मज़बूत है कि सरकारें आती-जाती रहें, लेकिन यह देश कभी पाकिस्तान नहीं बन सकता। भारत एक बहुभाषी और बहुधर्मी देश है।

उन्होंने कहा,

मैं कॉंग्रेस के हर नेता और कार्यकर्ता से आग्रह करूंगा कि वे इस बात का ध्यान रखें कि किस तरह के बयान देने हैं।

पार्टी लाइन में रहकर बोलने की नसीहत के बावजूद भी शशि थरूर अपने बयान पर अड़िग हैं। उन्हें अपने बयान में कहीं कोई गलती नज़र नहीं आई।

जयवीर शेरगिल की बात में और थरूर के अपने बयान पर कायम रहने की बात में विरोधाभास है। अब या तो थरूर का भारतीय संविधान की मज़बूती पर विश्वास नहीं है या फिर शेरगिल थरूर के बयान की लीलापोती करने के लिए संविधान की मज़बूती पर झूठा विश्वास जता रहे हैं। अब यह तय कॉंग्रेस की विचारधारा को करना होगा कि संविधान की मज़बूती पर विश्वास करके आगे बढ़ा जाए या संविधान को निःशक्त बताकर, लोगों को डराकर वोट लूटे जाएं।

दरअसल, ये रोग पुराना है। कॉंग्रेस ने कई वर्षों तक मुस्लिम तुष्टिकरण करके सत्ता पायी है मुस्लिम तुष्टिकरण के सेनानियों ने नए अध्यक्ष की नई शासन व्यवस्था में भी अपने पुराने व्यूह-कौशल को जीवंत रखा है। नए-नवेले अध्यक्ष की बंदिशों के बाद भी वह कौशल अंतर्मन में उछल-उछलकर सियासत के पटल पर छलांग लगाने को आतुर हो उठता है, फिर चाहे मणिशंकर अय्यर हों, गुलाम नबी आज़ाद हों, दिग्विजय सिंह हों, सैफुद्दीन सौज हों, कपिल सिब्बल हों या अब शशि थरूर हों।

ये रोग उम्रदराज़ कॉंग्रेसी नेताओं को ही लगा हुआ है जो यही स्पष्ट करता है कि कॉंग्रेस के पुराने नेताओं ने मुस्लिमों को डराकर उनका खूब तुष्टिकरण किया। उनका वोट डराकर ही ऐंठा गया ना कि उन्हें शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त एवं समृद्ध बनाकर।

सच कहूं तो कॉंग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने ही बीजेपी के लिए हिन्दू तुष्टिकरण का विकल्प खोला है। अब “हिन्दू पाकिस्तान बन जायेगा भारत” इस पंक्ति का बीजेपी जमकर दोहन करने वाली है। ये बात भी निश्चित है।

अब सॉफ्ट हिंदुत्व को अपनाने वाली कॉंग्रेस इस बयान से होने वाली हानि को कहां तक कम कर सकती है और बीजेपी इसका कितना फायदा उठा पाती है, पॉलिटिकल पंडित इसकी गणना में लग गए होंगे।

मुझे तो दुख बस इस बात का है कि 2019 चुनाव साफ तौर पर हिन्दू-मुस्लिम होते दिख रहा है। विकास का इस बार भी गर्भपात कर दिया जायेगा।

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