अपने चार वर्ष के कार्यकाल में हुए कार्यों को बताने के लिए भारतीय जनता पार्टी ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत सरकार देश की प्रमुख हस्तियों से मिल रही है। संपर्क फॉर समर्थन अभियान के मुख्य कर्ता-धर्ता बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं। इस अभियान के तहत अमित शाह अब तक लता मंगेशकर से लेकर देश की कई प्रमुख हस्तियों से मिल चुके हैं।
आखिर बीजेपी के इस तरह के प्रचार का मतलब क्या है? क्या पार्टी द्वारा देश की प्रमुख हस्तियों से मिलने भर से दबे कुचले वर्गों को चार वर्ष के कार्यों की जानकारी हो जाएगी? जिस देश की आधी से ज़्यादा अाबादी गांवों में रहती है, वहां बिना उन इलाकों में जाए, बिना उन लोगों से मिले, उन्हें बीजेपी के कार्यों का पता चल जाएगा?
इस तरह के प्रचार और समर्थन मायने नहीं रखते, जिनमें आम जनता खासकर ग्रामीण जनता को नज़रअंदाज़ किया जा रहा हो। क्योंकि सरकार को चुनने में उनका योगदान महत्वपूर्ण होता है। सरकार के कार्यों को सबसे ज़्यादा जानने की ज़रूरत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को है। ताकि वे सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उठा सकें। बीजेपी अगर महात्मा गांधी के दिए विचारों को अमल करती है तो सबसे पहले उसे गांवों का उत्थान करना होगा। क्योंकि गांधी जी ने कहा था कि जब तक गांवों का उत्थान नहीं होगा तब तक देश का उत्थान नहीं हो सकता है। इसलिए अमित शाह को चाहिए कि वह ग्रामीण स्तर पर कमेटियों को गठित कर ग्रामीण जनता को अपने कार्यों के बारे में बताए।
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