नोटबंदी के दौरान लाइनों में लगकर देशभक्ति करने वाले लोग, कृपया अपने दिल का ख्याल रखें। आपके दिल टूट सकते हैं, जब आपको पता चलेगा कि देशभक्ति के नाम पर आपको बेवकूफ बनाया गया है।
मोदी जी ने बोला था “मुझे 50 दिनों का वक्त दो, अगर नोटबंदी को लेकर मेरी नीयत गलत निकली तो मुझे चौराहे पर ज़िंदा जला देना।”
मोदी जी, हम आपकी विचारधारा से नहीं आते हैं। किसी को ज़िंदा नहीं जलाना चाहते हैं। बस आपसे सवाल पूछना चाहते हैं कि जब RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी में बैन हुए कुल रुपयों में से 99.3% सर्कुलेशन में वापस आ गएं, तो ब्लैक मनी पर ये कैसी सर्जिकल स्ट्राइक हुई?
क्या मोदी सरकार को इस देश की जनता को जवाब नहीं देना चाहिए कि जिस ब्लैक मनी पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की बात की गई थी वो सारा पैसा वापस बैंकिंग सेक्टर में कैसे आ गया? क्या नोटबंदी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए की गई थी? कितना ब्लैक मनी पकड़ा गया? कौन हैं वो लोग जो नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी रखने के जुर्म में आज सलाखों के पीछे हैं?
पीछले साल नोटबंदी की वर्षगांठ पर मोदी सरकार जश्न मना रही थी। किस बात का जश्न? क्या नोटबंदी के दौरान लाइनों में लगकर और पैसों की तंगी के कारण आत्महत्या करने वाले 100 से ज़्यादा लोगों की मौत का जश्न मनाएं हम?
कौन ज़िम्मेदार है नोटबंदी में मारे गए इन 100 से ज़्यादा लोगों का? कुछ लोगों का मानना है कि मोदी जी को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। क्या माफ़ी मांग लेने भर से हत्या का ज़ुर्म माफ़ हो जाता है? ये मौतें सामान्य तो नहीं हैं। एक खास फैसले की वजह से हुईं हैं। क्या वो फैसला लेने वाले पर मुकदमा नहीं चलना चाहिए? या न्याय के मंदिरों ने भी ये मान लिया है कि ये सारे लोग देश के लिए शहीद हुए हैं? क्या इन 100 से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं है?
ये सारे लोग देश के लिए शहीद हुए हैं या अंबानी और अदानी जैसे लोगों के लिए इनकी कुर्बानी दी गई है?
क्या किसी संस्था में इतनी हिम्मत बची है कि नोटबंदी के स्कैम को लेकर मोदी जी से सवाल करे और नोटबंदी के दौरान अर्थव्यवस्था धीमी पड़ने, नौकरियां जाने, छोटे उद्योग नष्ट होने और 100 से ज़्यादा मौतें होने को लेकर मोदी जी पर जवाबदेही तय करे?
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