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“क्या वसुंधरा राजे 2013 के वादे भूल चुकी हैं?”

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देश में सियासी तापमान उबाल पर है। कई राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के बीच अब राजस्थान चुनाव भी काफी नज़दीक आ चुका है। कॉंग्रेस और बीजेपी अपने-अपने घोषणापत्र के ज़रिए वोटर्स को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने उन वादों पर गौर करने की है जो उसने 2013 के चुनावी घोषणापत्र में किए थे।

इन वादों का असर कुछ इस कदर हुआ कि लोगों ने 2013 में भाजपा को जमकर वोट दिया। विधानसभा की 200 सीटों में भाजपा को 162 सीटों पर जीत हासिल हुई। उस दौरान भाजपा के घोषणापत्र (सुराज संकल्प) को तब के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की उम्मीदवार वसुंधरा राजे सहित कई नेताओं ने लोकार्पण किया था।

सुराज संकल्प नामक घोषणापत्र के माध्यम से भाजपा ने कहा था कि अगर पार्टी राजस्थान की सत्ता में आती है तब 15 लाख युवाओं को रोज़गार मिलेगा। इसके अलावा बीस लाख पंजीकृत बेरोज़गारों को मात्र 3 % ब्याज दर पर ऋण, 24 घंटे घरेलू बिजली की आपूर्ति, किसानों को कृषि कार्यों के लिए 1 % ब्याज दर पर ऋण, गॉंवों में आठ घंटे बिजली आपूर्ति, शुद्ध पेयजल, महिला बाल विकास और युवा नीति बनाने जैसे कई वादे किए गए थे। ऐस में घोषणापत्र में किए गए वादों की एक बार समीक्षा ज़रूर होनी चाहिए।

युवाओं को रोज़गार

राजस्थान में 15 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा बिल्कुल झूठा है। इसे लेकर उस वक्त और विवाद हो गया जब बीजेपी राजस्थान के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए यह गया कि भाजपा ने 15 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि 44 लाख से अधिक लोगों को नौकरियां दी गई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान में  भाजपा ने युवाओं को रोज़गार देने के नामपर ठगने का काम किया है।

कॉंग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा के ट्विटर हैंडल से 44 लाख नौकरियां देने वाले बयान को तथ्यहीन बताया था।

गौरतलब है कि राजस्थान में बिजली दर भी एक बड़ी समस्या है। पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए तो राजस्थान में बिजली दर सर्वाधिक है। यहां मध्यमवर्ग के परिवारों को भी लगभग 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ता है।

अंबेडकर छात्रावासों की हालत

एक निजी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक गुलाबपुरा उपखंड स्थित हुरडा में समाज कल्याण विभाग के अम्बेडकर राजकीय छात्रावास में छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस छात्रावास में 35 छात्र रहते हैं और यहां साफ-सफाई एक गंभीर समस्या है। यहां ना तो पेयजल की अच्छी व्यवस्था है और ना ही बेडसीट बदली जाती है।

छात्रावास में शौचालय का निर्माण तो कराया गया है लेकिन गंदगी की वजह से छात्रों को खुले में शौच के लिए जाना  पड़ता है। इसके अलावा छात्रों को अच्छी खानपान भी नहीं दी जाती है। जली हुई रोटियां और पानी जैसी सब्ज़ी उनके मेन्यू में शामिल होता है।

दलित, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अपराध और नफरत फैलाने के मामले में राजस्थान तीसरे नंबर पर है। 2015 से अबतक 31 हेट क्राइम दर्ज किए गए हैं, जिनमें सर्वाधिक मामले दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा से जुड़े थे।

महिला एवं बाल विकास

सेंटर फॉर कम्युनिटी इकॉनॉमिक्स एंड डेवलपमेंट कंसल्टेंट सोसायटी (CECOEDECON) की रिपोर्ट के मुताबिक यौन-उत्तपीड़न मामलों के निपटारे के लिए सूबे में अबतक फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं बन पाया है। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वित्त आयोग ने राजस्थान को फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की स्थापना के लिए 214 कोरोड़ की राशि दी थी लेकिन अबतक एक भी कोर्ट नहीं बन पाया। ऐसे में भाजपा का सवालों के घेरे में आना लाज़मी है।

आपको बता दें कि सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी रिपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सा क्षेत्रों में भी कोई सकारात्मक तब्दिलियां नहीं आई हैं।

सियासी ज़ुमलों और झूठे वादों के बीच अब जनता को तय करना होगा कि वे किस आधार पर अपना वहुमूल्य वोट देंगे। यदि राजस्थान की जनता वाकई में विकास चाहती है तब उन्हें झूठे वादों के आधार पर तो कतई वोट नहीं डालनी चाहिए।

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