सिख समुदाय की यह बहुत पुरानी मांग रही है कि वो एक कॉरिडोर चाहते हैं, जिससे वो भारत और पाकिस्तान की दीवार को पार करके आसानी से करतारपुर गलियारा जा सकें। करतारपुर गलियारा सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है। यहां गुरु नानक जी ने अपना आखिरी समय गुज़ारा था। अब इसका महत्व धर्म से बहुत बढ़कर होगा, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच पहला बिना वीसा के आने जाने का रास्ता
अब हम इसके पीछे की उन सारी बातों पर आते हैं जो अभी के भारत-पाकिस्तान रिश्तों के लिए ज़रूरी है। इस कॉरिडोर को खोलने की पहल उस समय हुई जब नवजोत सिंह सिद्धू जो कि काँग्रेस के सांसद एवं पूर्व क्रिकेटर हैं ने इमरान खान (पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म और पूर्व क्रिकेटर) के शपथ ग्रहण समाहरोह में गए थे। सिद्धू ने पाकिस्तान में जनरल बाजवा को गले लगाया जिसके कारण उनकी खूब आलोचना हुई पर अब उन्हीं के कारण यह कॉरिडॉर खुल रहा है।

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री कहते हैं कि अगर फ्रांस और जर्मनी विश्व युद्ध के बाद भी एक साथ रह सकते हैं तो क्या भारत पाकिस्तान नहीं। वो कहते हैं कि कश्मीर के मुद्दों को बातचीत से हल करना चाहिए। पाकिस्तान और भारत में ट्रेंड होना चाहिए। हमें गरीबी से लड़ना चाहिए।
क्या पाकिस्तान की यह एक नई चाल है?
मेरी अपनी राय यह है कि जब तक पाकिस्तान को पाकिस्तान की आर्मी चलाएगी बात आगे नहीं बढ़ सकती। हमें इसका स्वागत संभलकर करना चाहिए। इससे हमारे बीच दोस्ती बढ़ेगी पर अभी इस तरह के और प्रयासों की ज़रूरत है। मेरी माने तो आतंकवाद पर काबू पाना इससे संभव नहीं है। कश्मीर मसला दोनों तरफ के नेताओं के लिए देशभक्ति के पेट्रोल का कम करती है, तो कश्मीर मसले का हल फिलहाल संभव होता नहीं दिखता है। जैसा कि मैंने कहा भारत को इसका स्वागत तो करना चाहिए पर पूरी समझ के साथ।

क्या भारत को करतारपुर कॉरिडोर से हो सकता है खतरा?
काफी समय से खालिस्तान समर्थकों को बॉर्डर के उस पार देखा गया है। ऐसे मे सिख श्रद्धालुओं की आस्था का ध्यान रखते हुए कॉरिडॉर को बनाना सही होने के साथ थोड़ा चिंताजनक भी हो सकता है।
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