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जानिए पाकिस्तान से रिहा होकर अपने वतन लौटने वाले हामिद की पूरी कहानी

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पाकिस्तान की जेल से 6 साल बाद अपने वतन हिन्दुस्तान लौटने वाले हामिद निहाल अंसारी सबसे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिले। हामिद पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जिन्हें फेसबुक पर पाकिस्तान की एक लड़की से प्यार हो गया था, जिसकी जबरन शादी बचाने के लिए अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान गए थे।

इससे पहले कि वह लड़की से मिल पाते उन्हें गिरफ्तार करके पाकिस्तान की जेल में डाल दिया गया। हामिद की रिहाई के लिए सुषमा स्वराज ने निजी तौर पर इस मामले की निगरानी की थी।

फौज़िया अंसारी और नेहाल अंसारी
हामिद की माँँ फौज़िया अंसारी और पिता नेहाल अंसारी। फोटो साभार: Getty Images

गौरतलब है कि पाकिस्तान में लड़की की शादी तय होने के बाद उसने हामिद से मदद मांगते हुए शादी करने का प्रस्ताव रखा। प्यार में दीवाने हामिद ने पाकिस्तान वीज़ा के लिए आवेदन किया लेकिन उन्हें गृह मंत्रालय से मंज़ूरी नहीं मिली। उनकी सोशल मीडिया पर ही पाकिस्तान के एक ओर शख्स से बात हुई और उन्होंने पाकिस्तान जाने के लिए उससे मदद मांगी।

कैसे पहुंचे पाकिस्तान

सोशल मीडिया पर जिस शख्स से हामिद की बात हुई उसने अफगानिस्तान के ज़रिए पाकिस्तान जाने का सुझाव दिया और हामिद ने ना केवल इस के लिए हामी भरी बल्कि नकली दस्तावेज़ भी बनवाने के सुझाव को मान लिया। वो अफगानिस्तान के तुरखम बॉर्डर से पेशावर पहुंचे। यहां उस लड़के ने नकली दस्तावेज़ हामिद के हवाले कर दिए और बाद में पुलिस ने उन्हें नकली पाकिस्तानी पहचान पत्र रखने और जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार करते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के हवाले कर दिया।

15 दिसंबर 2015 को उन्हें 3 साल की सज़ा सुनाई गई और पेशावर जेल भेज दिया। वहां परदेश में उनकी इस मुश्किल घड़ी में रख्शंदा नाज़ ने उनकी काफी मदद की। वो जब भी हामिद से मिलने जेल जाया करतीं तब उनके लिए कुछ ना कुछ खाने की चीज़ें ज़रूर ले जातीं।

कौन है रख्शंदा नाज़?

रख्शंदा नाज़ पाकिस्तान की मानवाधिकारों की वकील हैं जिन्होंने हामिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्हें हामिद के बारे में भारतीय समाज सेवी रीता मनचंदा से पता चला। हामिद के घर वालों ने तो मान लिया था कि वो अपना बेटा खो चुके हैं लेकिन जब पेशावर जेल में उन्हें पहली बार पेशी के लिए लाया गया और उनका आरोप बताया गया, तब उनके घर वालों को उनके ज़िंदा होने की खबर मिली।

सीनियर एडवोकेट काज़ी मोहम्मद अनवर ने रख्शंदा नाज़ की इस केस में काफी मदद की। पत्रकार जीनत के बिना हामिद के ज़िंदा होने का किसी को पता भी नहीं चलता।

वागा बॉर्डर
वागा बॉर्डर पर हामिद, उनके पिता नेहाल अंसारी और माँ फौज़िया। फोटो साभार: Getty Images

हामिद को पेशावर में एक अंडरग्राउंड जगह पर रखा गया। उन्हें भोजन सिर्फ इतना ही दिया जाता था कि उनकी जान ना निकल जाए। दिन रात का कुछ पता नहीं चलता था। दिन भर में बस एक बार वॉशरूम ले जाया जाता था। पूछताछ के समय कई बार वो बेहोश तक हो जाते थे।

हामिद ने जिस लड़की के लिए अपनी जान की भी परवाह ना की उस लड़की का साथ भी हामिद को ना मिला। वो लड़की खैबर पख्तूनख्वा के कोहाट की रहने वाली है जो अब वो शादी शुदा है।

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