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“बिहार में युवा शक्ति तो है लेकिन उनके पास रोज़गार ही नहीं है”

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जब भी चुनाव नज़दीक आते हैं तब पूरे देश का माहौल बदल जाता है। सारी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने स्तर पर काम करने लगती हैं। प्रचार-प्रसार के साथ-साथ चुनावी रैलियों का दौर शुरू हो जाता है।

हर इलाके, चौक-चौराहे, हर गली और नुक्कड़ों पर चुनावी चर्चाएं शुरू हो जाती है। लोग सुबह-सुबह चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी चर्चा करते दिखाई देते हैं। देश के हर चौक-चौराहों से देश की दशा और दिशा तय होने लगती है।

लोग अपने-अपने तर्क देते हुए सड़कों और नुक्कड़ों पर खड़े होकर देश की रूपरेखा तैयार करने लगते हैं। खैर, यह अलग बात है कि विकास के नाम पर सिर्फ वादे ही किए जाते हैं।

युवाओं के पास रोज़गार नहीं

देश में हर एक बड़े बदलाव की शुरुआत बिहार से होती है। राजनीतिक प्रयोगशाला कहे जाने वाले बिहार में चुनाव के समय चाय पर चर्चा आम हो जाती है। खासकर बिहार की जनता को हमेशा ही अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है। आज बिहार की स्थिति ऐसी है कि वहां के युवाओं के पास रोज़गार नहीं है।

शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। बिहार के पास युवा शक्ति है जिसे हम यूथ पावर कहते हैं लेकिन वहां के युवाओं को मौके नहीं मिलते हैं।

हमें अपने बिहार के युवाओं पर गर्व है कि UPSC और इंजीनियरिंग परिक्षाओं में उत्तीर्ण करने वालों में उनकी तादाद सबसे ज़्यादा होती है लेकिन इन परिक्षाओं की तैयारी के लिए उन्हें अन्य राज्यों में जाना पड़ता है।

अन्य राज्यों में पलायन जारी

रोज़गार और नौकरी के लिए युवाओं को लगातार दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दुनिया को ज्ञान देने वाले नालंदा की विरासत और भगवान बुद्ध की इस धरती का मान धुमिल हो जाएगा।

सत्ता पर बैठे नेताओं को शायद इसका आभास नहीं है लेकिन जनता और बिहार के युवाओं की यह दशा अब ज़्यादा दिन नहीं चलने वाली है। 2019 लोकसभा चुनाव एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाला है।

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार। फोटो साभार: Getty Images

जब सत्ता के मायने ही सिर्फ कुर्सी बचाना हो जाए, सत्ता-शासन ही जब सांस बन जाए जिसके बिना मनुष्य जी नहीं सकते और जब सत्ता जीने-मरने कि ख्वाईश बन जाए तो विकास अधर में ही चला जाता है। ऐसे में जनता को समझना होगा कि उनका इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए हो रहा है।

वोट बैंक की राजनीति

2014 में बिहार की जनता को सिर्फ लंबा चौड़ा चुनावी मेनिफेस्टो के सहारे भ्रमित किया गया था। भाजपा सरकार ने चुनावी मेनिफेस्टो का पाठ पढ़ाकर बिहार की जनता के साथ धोखा किया है। वोट बैंक की राजनीति करने वाली भाजपा और सुशासन बाबू की सरकार में अपराधी कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी
नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

बिहार से लगातार लोगों का पलायन हो रहा है, दुनिया को शिक्षा देने वाला नालंदा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और बापू की कर्मभूमि मोतिहारी अपने विकास के लिए तरस रही है।

किसानों की हालत खराब

कृषिप्रधान देश में किसान खुदकुशी कर रहे हैं, बापू की कर्मभूमि मोतिहारी और आस-पास के इलाके में किसानों की हालत दयनीय है। ऐसे में उन किसानों की मौत का ज़िम्मेदार कौन है यह जनता तय करेगी।

किसानों की प्रतीकात्मक तस्वीर
फोटो साभार: सोशल मीडिया

अन्य कामों का श्रेय लेने के लिए सब आगे रहते हैं लेकिन किसानों की दशा सरकार को नहीं दिख रही है। देश की प्रगति एवं विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद भी किसानों को ज़िन्दगी से निराश होकर ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह निश्चित रूप से गंभीर चिंता का विषय है।

The post “बिहार में युवा शक्ति तो है लेकिन उनके पास रोज़गार ही नहीं है” appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


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