Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 8253

“जसोदाबेन का नाम लेकर तीन तलाक का विरोध करना बस एंटी मोदी प्रोपेगेंडा है”

इस देश में तीन तलाक के मुद्दे पर विपक्षी दलों और उनके समर्थकों का अजीब तमाशा चल रहा है, जिसका कोई सिर-पैर नहीं है। तीन तलाक पर मोदी सरकार ने 19 सितंबर, 2018 को संशोधित अध्यादेश लागू कर दिया।

कुछ वक्त पहले सुप्रीम कोर्ट का भी तीन तलाक पर फैसला आया था और उन्होंने सरकार को कुछ निर्देश भी दिए थे। यह दोनों ही फैसले मुस्लिम महिलाओं पर सदियों से हो रहे अत्याचार के विरुद्ध एक सकारात्मक पहल के रूप में देखे जाने चाहिए।

खैर, फैसला जो भी आया लेकिन मेरी आपत्ति दूसरी ही है और वो यह कि तीन तलाक के फैसले या लाए गए अध्यादेश का मोदी जी की पत्नी जसोदाबेन से क्या मतलब है, यह कौन पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी हैं जो उन्हें बीच मे घसीट रहे हैं।

असल मुद्दों पर बात होनी चाहिए

आपके पास सरकार और मोदी जी की आलोचना के लिए मुद्दे नहीं बचे हैं क्या? यदि हां, तो असल मुद्दों पर बात कीजिए ना। दरअसल, आप जैसे सेलेक्टिव अप्रोच वाले बुद्धजीवियों की वजह से ही असल मुद्दों पर बात नहीं होती है और सरकार भी आपके खोखले विरोध की आड़ में मुख्य मुद्दों को दबा ले जाती है।

Image may be NSFW.
Clik here to view.
राहुल गाँधी
फोटो साभार: Getty Images

इस देश की सबसे मुख्य विपक्षी पार्टी काँग्रेस को तो अपने पोस्टरों पर ‘इंडियन नैश्नल काँग्रेस’ की जगह ‘इंडियन नैश्नल आलसी काँग्रेस’ लिखना चाहिए क्योंकि अपने 70 सालों के शासन के दम्भ में डूबी काँग्रेस जिसको होश नहीं कि वह गर्त में जा चुकी है।

अगर आगे भी यही स्थिति रही तो जनता और बीजेपी मिलकर उनको कब्र में दफ्न कर देगी। सारे विपक्षी दल महंगाई और पेट्रॉल के दामों पर एक दिन का एक विफल बंद करने के बाद मुंह पर डॉक्टर टेप लगा कर बैठ गए, कोई पड़ताल नहीं की, क्योंकि पड़ताल करने का दम ही नहीं है।

आज फर्ज़ी बकैती करने के लिए यह तलाक और जसोदाबेन वाला मुद्दा मिल ही गया तो आंख बंद करके शुरू हो गए, महज़ इसलिए कि विरोधी और मुसलमानों के करीब दिखना है।

2015 के आरटीआई को जानिए

आपको पता होना चाहिए कि मोदी जी की पत्नी जसोदाबेन ने आज तक किसी कोर्ट में अपने अधिकार के लिए कोई अर्ज़ी नही डाली है।  दिसंबर 2015 में एकमात्र आरटीआई डालते हुए यह सवाल किया गया था कि एक प्रधानमंत्री की पत्नी को सरकार द्वारा क्या सुविधाएं मिलती हैं। उनको उसके बाद कुछ सुविधाएं मिली भी जो आजतक निरंतर चल रही हैं।

‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ राह में बाधा

तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी डाली थी जिसमे ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ को भी ज़िरह करने का पूरा मौका मिला और बोर्ड असफल रहा। उसके बाद कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में आया।

विपक्षी दलों को मुस्लिम वोट कटने का डर

भारत सरकार इसके उपरांत कानून लाई जो विपक्षी दलों ने राज्यसभा में पास नहीं होने दिया क्योंकि इन तथाकथित सेक्युलर दलों को लगता है कि ऐसा करने पर मुस्लिम उनके खिलाफ हो जाएंगे। जबकि आम मुसलमान और प्रोग्रेसिव मुस्लिम समुदाय इससे खुश हैं क्योंकि उनको यह समाज सुधार का कदम लगता है।

ओवैसी की राजनीति

कट्टरपंथी मुल्ला, मौलवी और मुस्लिम नेताओं को यह चुभा क्योंकि उनको अपनी पुरुषवादी सत्ता सरकती हुई दिख रही है। एक मौलाना ओवैसी जी हैं जो यह कहते हैं, “यह सुप्रीम कोर्ट कौन होता है हमारे धर्म में दखल देने वाला।” इनसे राम मंदिर का पूछिए तो यह सुप्रीम कोर्ट का राग अलापने लगते हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि मुस्लिम मौलानाओं, कठमुल्लों और नेताओं का यह तमाशा बंद होना चाहिए कि वे अपनी सहूलियत के हिसाब से चुनेंगे कि कब उनको शरियत सूट करती है और कब संविधान और कब कोर्ट।

Image may be NSFW.
Clik here to view.
असदुद्दीन ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी

विरोधी दलों से आशा करता हूं कि वे फर्ज़ी तमाशा बंद करते हुए असल मुद्दे (बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, व्यवसाय और अस्पताल) पर बात करना शुरू करें।

सिर्फ विरोध करना ही जनता और विपक्ष का काम नहीं होता है। संविधान में हमारे लिए कुछ कर्तव्य भी दिए गए हैं जिन पर विचार कीजिये। खाली अधिकार और हक का झूठ झंडा लेकर घूमने से कुछ नही होगा।

यह बिल्कुल मुनासिब है कि भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाएगी ही लेकिन “ट्रिपल तलाक बिल” का रिफॉर्म बेहतर दिशा में है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

गुज़ारिश

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ठीक से पढ़ें। सरकार द्वारा लाया गया कानून भी पढ़ें और उस कानून में सुधार किए जाने के बाद लाए गए संशोधित अध्यादेश को भी पढ़ें, क्योंकि अधूरा या सोशल मीडिया का ज्ञान बहुत खतरनाक होता है।

अंत मे अली ज़रयून के 2 शेर क्योंकि यह यहां पर ज़रूरी है।

अज़ल से लेकर अब तक औरतों को,
सिवाय जिस्म क्या समझा गया है।

खुदा की शायरी होती है औरत,
जिसे पैरों तले रौंदा गया है।


The post “जसोदाबेन का नाम लेकर तीन तलाक का विरोध करना बस एंटी मोदी प्रोपेगेंडा है” appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 8253

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>