राजनीति सब पर भारी है
रोटी की बातें की जाएं
रोटी की लहर पैदा की जाए
कुछ भी हो कैसे भी हो
एक लहर शुरू की जाए।
राजनीति है, क्यों ना फिज़ूल की बातें की जाएं
रोटी-रोटी के नारों से
क्यों ना प्रजा पर राज किया जाए?
सत्ता के लिए भरपूर वादे किए जाएं
पूछता बाद में कौन, एक बार कुर्सी मिल जाए।
खूब करो वादे
बाकी बाद में देखा जाए
राजनीति है समझ ले तू इसको
वादों से ही पेट भरा जाए।
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