राजनीति को लेकर आज भी औसत लोगों की धारनाएं नकारात्मक ही हैं। जो पहली चीज़ लोगों के ज़हन में आती है, वो है राजनेताओं की भ्रष्ट छवि। चाहे क्यों ना राजनीति में लाख अच्छाइयां हों मगर राजनैतिक दलों में पार्दर्शिता की कमी और राजनेताओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं को इससे दूर ले जा रही हैं।
इन सबके बीच बीते कुछ वर्षों में अगर राजनीति से किन्हीं की नज़दीकियां बढ़ी हैं, तो वे हैं देश के कुछ आला दर्ज़े के अफसर्स, जिन्हें राजनीति इस कदर भा गई कि रिटायरमेंट तक का इंतज़ार भी नहीं किया और किसी ना किसी राजनीतिक दल का दामन थाम लिया। आइए उन्हीं नामों को विस्तार से जानते हैं।
शाह फैसल- राजनीति के करीब आने वाले अफसरों में जम्मू कश्मीर के पूर्व आईएस अधिकारी शाह फैसल का नाम सर्वाधिक लोकप्रिय है। इन्होंने 9 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
बता दें शाह फैसल ने सिविल सेवा परीक्षा 2010 में टॉप किया था। शाह फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इस पर केन्द्र सरकार की उदासीनता की वजह से इस्तीफा दिया था।

शाह ने हाल ही में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाई है, जिसका नाम है‘जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट। उन्होंने जब अपने पद से इस्तीफा दिया था, तब कयास लगाने जाने लगे थे कि आने वाले दिनों में वह नैश्नल कॉन्फ्रेंस में शमिल होंगे।
प्रीता हरित- प्रीता उत्तर प्रदेश के मेरठ में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल कमिश्नर रह चुकी हैं। उन्होंने इसी महीने की 20 तारीफ को नौकरी से इस्तीफा देते हुए काँग्रेस पार्टी ज्वॉइन की है।
आपको बता दें काँगेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश के आगरा से उम्मीदवार के तौर पर टिकट भी दे दिया है। प्रीता 1987 बैच की आईएएस अफसर हैं, जो हरियाणा से आती हैं। दलित अधिकारों को लेकर सक्रियता के लिए भी वह जानी जाती हैं।

वह राजनीति में आने की वजह बताती हैं, “ब्यूरोक्रेसी में रहकर लोगों का उतना भला नहीं कर पा रही हूं, जितना संवैधानिक पद पर रहते हुए कर सकती हूं। समाज के लिए काम करने का इससे अच्छा ज़रिया और कुछ नहीं है।”
ओ.पी.चौधरी- ओ.पी.चौधरी 2005 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खास माने जाते हैं। ओ.पी.चौधरी ने साल 2018 के अगस्त महीने में रायपुर के कलेक्टर पद से इस्तीफा देते हुए बीजेपी के साथ राजनीतिक पारी की शुरुआत की।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें खरसिया सीट का उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा में कलेक्टर पद पर रहते हुए आदिवासी इलाकों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रेरित किया था।
अपराजिता सारंगी- अपराजिता ओडिसा की वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी रह चुकी हैं, जिन्होंने साल 2018 के नवंबर में अपने पद से इस्तीफा देते हुए भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने राजनीतिक जीवन की नींव रखी। 1994 बैच की आईएएस अफसर अपराजिता बिहार से आती हैं।

गौरतलब है कि पांच साल तक केन्द्रीय प्रतिनियुक्त पद पर रहने के बाद वीआरएस के लिए आवेदन किया था। उनकी अवधि समाप्त होने में अभी ग्यारह साल शेष थे। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपराजिता को भुवनेश्वर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
आशीष रंजन सिन्हा- बिहार के पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने काफी पहले ही राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी थी। नौकरी के बाद उन्होंने आरजेडी ज्वॉइन करते हुए लंबे वक्त तक पार्टी में अपना योगदान दिया।

आगे चलकर आशीष ने काँग्रेस का भी दामन थामा, जहां पार्टी ने उन्हें 2014 लोकसभा चुनाव में नालंदा सीट से उम्मीदवार बनाया। हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद दिसबंर में वह भाजपा के पाले में आ गए।
अल्फोंज कन्नाथानम- अल्फोंज कन्नाथानम आगामी लोकसभा चुनाव में एर्नाकुलम लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। अल्फोंज 1979 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं।

वह साल 2006 में रिटायर होने के बाद वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट का समर्थन हासिल करते हुए कोट्टायम में निर्दलीय विधायक चुने गए।
आपको बता दें कि साल 2011 में वह भाजपा में शामिल हुए और 6 साल बाद राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने।
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