अगर तरीके से कहा जाय तो हम युवा नरेंद्र मोदी नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक विचारधारा और उनसे अधिक उनके राजनीति करने के तरीकों के खिलाफ हैं। इस लेख के ज़रिये आप जानेंगे कि क्यों मैं पीएम मोदी के खिलाफ हूं।
मोदी जी के कुछ समर्थकों को लगता है कि जो मोदी जी का विरोध करते हैं, वे या तो हिन्दू विरोधी हैं या पाकिस्तान परस्त! लेकिन कई ऐसे मसले हैं, जिन पर अगर आप एक समझदार हिन्दू होकर भी सोचेंगे तो आप मोदी जी और भाजपा के खिलाफ हो जाएंगे। मसलन, इसके कई कारण हैं:-
मोदी जी हिन्दू विरोधी हैं
हिन्दू संस्कृति दुनियां की सबसे प्राचीन संस्कृति में गिनी जाती है। यह संस्कृति एक लंबी नदी की तरह आगे बढ़ती गई, जिससे विकास का तानाबाना भी बुना जाने लगा। स्वभाविक तौर पर समय और परिस्थिति के अनुसार इनमें विविधता भी उतपन्न हुई।
केरल और बिहार के हिन्दू सर्वथा अलग हैं। काफी हद तक एक दूसरे के विपरीत भी। जबकि भाजपा ने उनकी विविधता को समाप्त करने की कोशिश की। राम मंदिर के नाम पर सरकार बनाया लेकिन राम मंदिर बनाना ही भूल गए।
संत परम्परा का अपमान किया
भारतीय संतों ने सदैव दुनियां को दिशा दिखाने का काम किया है। चाहे वह महर्षि कणाद या महर्षि चरक जैसे पुराने संत हुए हों या फिर आधुनिक भारत के परमहंस योगानन्द, रामकृष्ण परमहंस या फिर युवा संत स्वामी विवेकानंद।
सबने दुनियां को नई दिशा दी लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने कई तथाकथित स्वघोषित संतों को संरक्षण दिया है, जो आए दिन अपने बड़बोलेपन और विकृत मानसकिता के कारण उटपटांग बयान देते रहते हैं, जिससे हिन्दू सन्त परम्परा मज़ाक का केंद्र बनता है।
संविधान विरोधी हैं नरेंद्र मोदी
दिल्ली की सड़कों पर दिनदहाड़े संविधान की प्रतियां जलाई गई और पूरा महकामा मूकदर्शक बना रहा। संवैधानिक रूप से घोषित न्याय व्यवस्था, जिनका न्याय देना ही एकमात्र धर्म है, उनपर भी किसी समुदाय विशेष का झंडा फहराया जाता है। इसे आप संविधान विरोधी नहीं तो और क्या कहेंगे?
मोदी जी ओछि राजनीति करते हैं
हेमन्त करकरे को इस देश की सरकार शहीद मानती है लेकिन इसी सत्ताधारी पार्टी की एक जनप्रतिनिधि प्रज्ञा सिंह, उसके बारे में अपशब्द कहती हैं। उनकी मौत की वजह अपने द्वारा दिए गए श्राप को बताती हैं लेकिन उसी प्रज्ञा सिंह के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री जी खुद पहुंच जाते हैं।

वह भी इसलिए कि किसी भी तरह सत्ता हासिल किया जा सके। जबकि कुछ ही साल पहले वाजपेयी जी संसद में कह रहे थे कि अगर संविधान और देश के खिलाफ जाकर सरकार बनती है, तो ऐसी सरकार मैं चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।
यहां मैंने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जानबूझ कर प्रज्ञा सिंह लिखा है। मेरा मानना है कि ऐसे लोगों के आगे साध्वी शब्द शोभा नहीं देती है। कुल मिलाकर यह सरकार देश विरोधी, हिन्दू विरोधी और मौका परस्त है। अभी समय है, समय रहते जाग जाइये! अन्यथा धर्म और संस्कृति के साथ-साथ देश का भी सत्यनाश हो जाएगा।
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