हमारा देश आज ऐसी परिस्थिति में है जहां से यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि देश आगे जा रहा है या पीछे। जनता यह स्वीकार करना ही नहीं चाहती है कि वह आज भी उसी मानसिकता को अपने कंधों पर ढो रही है, जिसका इस देश की प्रगति से कोई सरोकार नहीं है। 2019 के चुनाव में यही मानसिकता जीत रही है।
देश के चुनावी पर्व में जिस तरह नेता, अभिनेता और हमारी मूक जनता अपने उत्साह को प्रदर्शित करते हैं, दरअसल वह प्रदर्शन उनकी मूलभूत ज़रूरतों के आगे अपने घुटने टेक देता है। यह विवाद का विषय है कि जनता ही जनता के सवालों का जवाब देती है और जनता ही उन सवालों का खंडन भी करती है।
आपको यह समझना पड़ेगा कि आपकी मूलभूत ज़रूरतें क्या हैं और चुनाव के मौसम में उन मुद्दों पर टिके रहना होगा। हमारे राजनेता आपको प्रश्न करने की खुली छूट नहीं देते हैं और ऐसा माहौल बनाते हैं कि सवाल पूछने वालों पर ही सवाल उठने शुरू हो जाए। इस प्रक्रिया में विभिन्न रंगों में बंटने वाली जनता के मतभेद जीत रहे हैं, जो दु:ख की बात है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का कर्तव्य है कि वह आपको सच दिखाए और अन्याय के खिलाफ मुहिम में आपको शामिल करे लेकिन मीडिया सिर्फ टीआरपी की रेस में लगी हुई है। आप उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने को विवश हो जाते हैं। न्यूज़ चैनलों पर चलने वाला प्रोपेगैंडा सवालों को भटकाने में कामयाब हो जाता है।

आपके वोट लेने के लिए राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि आपको अनंत काल तक संभव नहीं होने वाले वादे करते हैं, जो धरातल पर आपकी मृत्यु के बाद भी संभव नहीं हो पाएगा। इसका खाका बहुत ही विचार, विमर्श के बाद तैयार किया जाता है, जिसका वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं होता है।
बुनियादी मुद्दों से भटका कर जनता को गुमराह किया जा रहा है कि विदेशी मुल्क हम पर आक्रमण करने वाले हैं। ऐसा करके जनता के देश प्रेम को वोट के साथ जोड़ा जा रहा है और उन्हें यह एहसास दिलाने की कोशिश की जा रही है कि वे सिर्फ इसी सरकार में सुरक्षित हैं।
इस बार चुनाव में मुद्दों की जगह बस राजनीतिक पार्टियों की चेहरों की राजनीति जीत रही है। अगर इस बार हम सब कुछ भूला कर अपने-अपने क्षेत्रों में सिर्फ एक ईमानदार इंसान को वोट दे तो यह हमारे देश के लोकतंत्र की जीत होगी।
The post क्या इस चुनाव में मुद्दों की जगह चंद राजनीतिक चेहरों की जीत हो रही है? appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.