Quantcast
Channel: Politics – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 8261

“राहुल गाँधी का विपक्ष का नेता नहीं बन पाना लोकतंत्र के लिए चिंतनीय है”

$
0
0

गिरती-पड़ती मोदी लहर पूरी बहुमत के साथ वापस आ गई है। ऐतिहासिक जनादेश से दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अब देश में महानायक का दर्ज़ा हासिल कर लिया है। वहीं, दूसरी ओर काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी विपक्षी नेता का दर्ज़ा पाने में भी भारी रूप से विफल हो गए हैं।

नियमों के अनुसार लोकसभा की 543 सीटों में 10%  सीटों पर जीत हासिल करने वाले दल के नेता को विपक्षी नेता का औपचारिक दर्ज़ा दिया जाता है। काँग्रेस को 52 सीटों पर जीत मिली है, जबकि विपक्षी नेता के लिए पार्टी को 55 सीटों की दरकार है।

पिछले दौर की संसद में मोदी से गले मिलकर राहुल ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। अब इस बार क्या होगा कुछ पता नहीं। विपक्षी दल के नेता के संबंध में नियम और पुराने विपक्षी नेता के वेतन इत्यादि के बारे में वर्ष 1977 में संसद ने कानून पारित किया था लेकिन उसमें 10% सीटों की अनिवार्यता के बारे में कोई भी उल्लेख नहीं है।

सबसे बड़े दल के नेता को विपक्षी नेता का दर्ज़ा

लोकसभा द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार न्यूनतम 10% सीट हासिल करने वाले सबसे बड़े दल के नेता को विपक्षी नेता का दर्ज़ा दिया जाएगा। लोकसभा में सन् 1969 से लेकर 2014 तक अनेक नेता विपक्षी नेता का दर्ज़ा हासिल कर चुके हैं।उनमें जगजीवन राम, राजीव गाँधी, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेई, शरद पवार, सोनिया गाँधी, एलके आडवाणी और सुषमा स्वराज शामिल हैं।

राहुल गाँधी को एसपीजी की सुरक्षा तो मिलेगी लेकिन विपक्षी नेता की नहीं

पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्य होने के नाते राहुल गाँधी को एसपीजी की सुरक्षा तो मिलेगी मगर नेता विपक्ष का प्रोटोकॉल और सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी। मोदी सरकार के पिछले दौर में भी काँग्रेस के पास 44 सीटें थीं, जिसकी वजह से उनके नेता मल्लिकार्जुन खड्गे को विपक्षी नेता का दर्ज़ा नहीं मिल पाया था लेकिन इस बार लोकसभा में काँग्रेस के नेता राहुल गाँधी होंगे या कोई और?

राहुल गाँधी
राहुल गाँधी। फोटो साभार: Getty Images

ऐसे में प्रधानमंत्री पद की रेस में सबसे आगे रहे राहुल गाँधी का अब विपक्ष का नेता नहीं बन पाना संसदीय लोकतंत्र के लिए भी चिंतनीय है क्योंकि देश के अनेक संवैधानिक संस्थानों में नियुक्तियों के लिए बनाई गई समितियों में लोकसभा में विपक्ष के नेता को भी शामिल किया गया है।

10% न्यूनतम सीटों के बारे में कोई अनिवार्यता नहीं

सन् 2003 में बने कानून के अनुसार केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या सीवीसी की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की समिति का प्रावधान है लेकिन इस कानून में दी गई छूट के अनुसार 10% सीट नहीं मिलने पर भी लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को सीवीसी की चयन समिति में शामिल किया जा सकता है।

मुख्य सूचना आयुक्त या सीवीसी की नियुक्ति के लिए भी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष की नेता की समिति का प्रावधान है लेकिन इसमें भी 10% न्यूनतम सीटों के बारे में कोई अनिवार्यता नहीं है।

इसका बेहतर उदाहरण आप खड़गे के पिछले कामकाज को देखकर समझ सकते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या एनएचआरसी में नियुक्ति के लिए एक बड़ी समिति का प्रावधान है। जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा में डिप्टी चेयरमैन, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता को शामिल किया जाता है।

एनएचआरसी में नियुक्ति के लिए 1993 में बनाए गए कानून

एनएचआरसी में नियुक्ति के लिए 1993 में बनाए गए कानून के अनुसार चयन समिति में यदि कोई वैकेंसी है, तो नियुक्ति की जा सकती है। लोकपाल के वर्ष 2013 में बनाए गए कानून के अनुसार चयन समिति में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ न्यायविद को शामिल करने का प्रावधान है।

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह
नरेन्द्र मोदी और अमित शाह। फोटो साभार: Getty Images

इस कानून के अनुसार चयन समिति में वैकेंसी होने पर भी नियुक्ति की जा सकती है। सीबीआई चीफ की नियुक्ति के लिए जो चयन समिति होती है उसमें प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा में विपक्ष के नेता को शामिल करने का प्रावधान है।

ऐसे में यदि किसी दल को 10% सीट हासिल नहीं हुई तो सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सीबीआई की चयन समिति में शामिल करने का प्रावधान है। काँग्रेस के नेता को विपक्षी नेता का दर्ज़ा नहीं मिलने पर कानून में आपसी सहमति से बदलाव होगा या गतिरोध होगा?

देश में 30 सालों तक गठबंधन सरकार का दौर रहा

पिछले 5 वर्षों के बाद अब दूसरी बार स्पष्ट बहुमत से सरकार गठित हुई है। संविधान में गठबंधन सरकार के बारे में स्पष्ट प्रावधान नहीं है फिर भी देश में 30 सालों तक गठबंधन सरकार का दौर रहा।

संसदीय लोकतंत्र में सरकार के साथ मज़बूत विपक्ष का होना भी बहुत ज़रूरी है। काँग्रेस ने यूपीए गठबंधन में चुनाव लड़ा, जिसे 10% से ज़्यादा सीटें मिली हैं। क्या यूपीए गठबंधन के नेता को विपक्षी नेता का दर्ज़ा दिए जाने पर संसद में विचार और सहमति होगी?

Created by Abhishek Lohia II

क्या राहुल गाँधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनकर सामने आना चाहिए ?
 

The post “राहुल गाँधी का विपक्ष का नेता नहीं बन पाना लोकतंत्र के लिए चिंतनीय है” appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 8261

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>