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Channel: Politics – Youth Ki Awaaz
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“2019 की जीत मोदी लहर थी या सोशल मीडिया मैजिक?”

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काफी समय से एक सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा था कि आखिर वह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर क्या था, जिसने बीजपी को अद्वितीय जीत दिलाई। इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी की शानदार जीत के पीछे अमित शाह और मोदी की जोड़ी की अथक मेहनत भी है।

मोदी एक बेहतरीन वक्ता रहे हैं जिनके बल पर हिंदुत्व को तेज़ धार मिली है मगर कई मोर्चों पर जनता की नाराज़गी भी साफ दिखाई पड़ रही थी। नोटबंदी, जीएसटी, नौकरी की कमी, उज्ज्वला योजना के बाद दोबारा गैस ना भरवा पाना, किसानों के बुरे हालात, विपक्ष की तथाकथित गोलबंदी जैसे मसले कहीं ना कहीं लोगों में एंटी बीजेपी का माहौल भी पैदा कर रहे थे।

ऐसे में क्या इसे मोदी मैजिक माना जाए? मगर यह सारे फैक्टर तो अटल बिहारी वाजपेई के समय भी थे। वह भी बिज़नेस कम्युनिटी के चहेते थे और मीडिया उनके फेवर में थी मगर वह क्यों हारे, क्यों उस समय नेगेटिव फैक्टर काम कर गए जो इस बार नहीं किए?

सोशल मीडिया का झूठ अब सच बन चुका है

काफी सोचने पर एक चीज़ समझ आई कि बाकी सारे फैक्टर के अलावा एक बहुत बड़ा फैक्टर रहा है जिसपर शायद किसी का ध्यान नहीं गया। पिछले 6-7 सालों में सोशल मीडिया बहुत ताकतवर हुआ है। फेसबुक, व्हॉट्सऐप और यूट्यूब पर दिनभर ‘हिंदुत्व खतरे में है’ का नारा चलता रहा है। इस दौरान सही-गलत वीडियो के ज़रिये लोगों का ब्रेनवाश किया गया।

नरेन्द्र मोदी
नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

सोशल नेटवर्किंग का तरीका यह होता है कि एक बार एक वीडियो लाइक किया तो यूट्यूब पर वैसे ही 100 और वीडियो आ जाते हैं। वहां पर जो तथाकथित विद्वान होते हैं, उन्होंने भी 80% सच के साथ 20% फर्ज़ी मसाला लगाकर बातों का अर्थ इस तरह बदला जिससे लोगों को लगने लगा कि हिंदुत्व वाकई खतरे में है।

पिछले 1500 सालों में, जब मुस्लिम शासकों का शासन था और 60-70 साल पहले के काँग्रेस शासन तक हिंदुओं ने उस तरह का खतरा महसूस नहीं किया जितना 5 साल के बीजपी शासन में किया।

ब्रेनवॉश के ज़रिये मोदी भगवान बन गए

आप किसी से भी बात करना शुरू कीजिए, हर दूसरा शख्स आपको बताएगा कि हिंदू किस हद तक खतरे में है और मोदी क्यों ज़रूरी हैं। आपने अगर ज़रा सा भी तर्क किया तो आप काँग्रेसी, वामपंथी और देशद्रोही बन जाएंगे। ब्रेनवॉश इस हद तक की गई कि मोदी भगवान बनते गए, उनकी हर छोटी से छोटी चीज़ को महान बनाया जाने लगा।

उन्होंने पूजा किया, माँ का आशीर्वाद लिया और खासतौर पर शपथ ग्रहण के समय माँ बहुत खुश थीं। यह सब स्वाभाविक सी चीज़ें हैं जो सभी करते हैं मगर इसे ऐसे प्रस्तुत किया गया जैसे वह दुनिया के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी माँ के पैर छुए या उनकी माँ दुनिया की पहली माँ थीं जो बेटे की सफलता पर खुश हुईं।

कुछ झूठी कहानियों ने असर डाला, लोगों को लगा कि फेसबुक, व्हॉट्सऐप और यूट्यूब पर जो कुछ भी आ रहा है, वह सब सत्य है। परिणाम यह हुआ कि आम आदमी ने यह मान लिया कि मोदी वह दिव्य पुरुष हैं जो हिंदुत्व और भारत को महान और सुरक्षित बना सकते हैं और जैसा अक्सर होता है कि जहां भक्ति होती है वहां तर्क की गुंज़ाइश नहीं होती है।

ऐसे में मोदी और उनकी टीम को और कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी, लोग खुद ही बिना पैसे के ना सिर्फ वोट बैंक बन रहे थे, बल्कि दूसरों को भी अपनी विचारधारा से प्रभावित कर रहे थे।

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