किसी भी सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र का, अपने अस्तित्व और गौरव को बनाए रखने के लिए आत्ममंथन और आत्मचिंतन करना अनिवार्य होता है। आज भारत देश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां उसके सभी संस्थान ठप हो चुके हैं। विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश, भारत अभी परिवारवाद (काँग्रेस शासन) से निकला ही था कि सत्तावाद और प्रभुत्ववाद के कगार पर आ पहुंचा। भले ही जीडीपी और वर्ल्ड बैंक के जादुई आंकड़े अपनी चोटी पर हो...
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