सच में हमारा समाज बंट गया है। आज हमको लगा कि वाकई कुछ तो है, जो हम लोगों को अलग कर रहा है। अरे, हम यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की बात नहीं कर रहे हैं और हमको करने में कोई रुचि भी नहीं है लेकिन हां, ये समझ नहीं आता कि वे तथाकथित लोग जो कभी मुस्लिम को रगड़ते हैं, तो कभी हिंदू को, उनके ऐसा करने के पीछे स्वार्थ क्यों होता है? “हम पत्रकार बनते ही नहीं तो ठीक रहता। हम भी ऐसा ही करते, जो मेरे स्वार्थ...
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