पूंजीवाद जब कभी किसी क्षेत्र में पहुंचा है, उसने अपनी नींव जमाने के लिए वहां की सांस्कृतिक जड़ें खोद कर रख दी हैं। आपकी मिट्टी पर आपके संसाधनों को आपसे छीनकर, खुद पर आश्रित कर, वह आपके ही चीज़ों को आपको बेचकर चला जाता है और आपके पास सिवाए एक बर्बाद हो चुकी सभ्यता के अलावा और कुछ भी नहीं बचता। पूंजीवाद या औद्योगिकी कभी भी अकेले नहीं आता। वह अपने साथ अपना नशा और संस्कृति लेकर आता है। भारत सालों तक...
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