तुम्हें वफा याद नहीं, हमें ज़फा याद नहीं। ज़िन्दगी और मौत के दो ही तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं। सन 2011 की लोकसभा में कुछ इसी तरह सुषमा स्वराज ने अपनी बात रखी थी। इसी तरह के शब्दों का चयन कर, जोश और ऊर्जा के साथ हमेशा अपनी बात लोगों तक पहुंचाने वाली सुषमा स्वराज ने मंगलवार शाम अपनी अंतिम सांस ली। इस इस खबर पर पूरे देश को यकीन करना मुश्किल हो गया था। किसी भी राजनेता के निधन पर...
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