हाल ही में सूचना का अधिकार कानून में बदलाव के साथ लोकसभा में बिल पास किया गया है, जिसका पुरज़ोर तरीके से विरोध भी हो रहा है। यहां सवाल यह है कि आरटीआई कानून में संशोधन की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या इस कानून में कोई कठिनाई आ रही थी? या सूचना आयुक्त किसी तरह के अधिकार मांगने की कोशिश कर रहे थे? जब ऐसा कुछ भी नहीं था तो इसमें संशोधन क्यों किया गया? राजनितिक दलों को इस कानून के दायरे से बाहर रखना भी इसे...
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