महात्मा गाँधी की किताब मेरे सपनों का भारत में उनके यंग इंडिया के एक संस्करण (6 मार्च 1921) का ज़िक्र है। जहां वह लिखते हैं, यदि भारत ने हिंसा को अपना धर्म स्वीकार कर लिया और यदि उस समय मैं जीवित रहा, तो मैं भारत में नहीं रहना चाहूंगा। हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। क्या जिस तरह के भारत की कल्पना महात्मा गाँधी ने की थी, उस राह पर भारत आगे बढ़ रहा है? जून 2019 में क्रांतिकारी समाजवादी...
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