हमने 5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश को आतंकवाद की वजह से खो दिया। इस लेख में मैं गौरी की शहादत को वैश्विक संदर्भ में रखने की कोशिश करूंगा। प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य द्वारा मारा गया है, कॉरपोरेट हिंसा या सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हुआ है, उसे शहीद नहीं कहा जा सकता है। वजह यह है कि कई ऐसे निर्दोष लोग मरने के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें नहीं पता था कि मौत इतनी जल्दी उनके पास आ जाएगी। मौत अचानक थी। इनमें...
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