Quantcast
Channel: Politics – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 8261

राष्ट्रवाद का भरपूर खुराक पिलाने के बाद भी क्यों हार गई ABVP

$
0
0

जब JNU में वोटों की गिनती चल रही थी तब कैलाश विजयवर्गीय ने अपने पहले ट्वीट में लिखा कि JNU में अध्यक्ष पद पर ABVP की जीत राष्ट्रवाद की जीत है। इसके बाद विजयवर्गीय ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा ”भारत के टुकड़े करने वालों की हार हुई और भारत माता की जय करने वालों की जीत। कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई” इसके थोड़ी देर बाद लेफ्ट की रीना कुमारी चुनाव जीत गई। तो क्या यह कथित राष्ट्रवाद की हार कही जाएगी?

भले ही यह ट्वीट भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को खुश करते दिखे हो लेकिन देश के ज़िम्मेदार लोगों की तरफ से कुछ ऐसा होना निराश करने वाला लगता है।

Kailash Vijayvargiya tweeted about ABVP victory in JNUSU
कैलाश विजयवर्गीय का ट्वीट

आखिर क्या कारण रहा कि इन दोनों जगहों पर राष्ट्रवाद की पूरी खुराक देने के बाद भी ABVP को हार का मुंह देखना पड़ा? JNU के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय में भी अखिल भारतीय विधार्थी परिषद को हार मिली। क्या मैं इसे सीधा भाजपा की हार के तौर पर देख सकता हूं? क्योंकि पिछले कई सालों से लगातार ABVP की जीत को भाजपा की जीत के तौर पर देखा जाता रहा है।

जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय(JNU) पिछले साल से चर्चाओं में रहा, खासकर देशद्रोही गतिविधियों के मामले को लेकर JNU छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया पर देशद्रोह के आरोप भी लगे। वातावरण यहां तक बना कि JNU के छात्रों को खास नज़र से देखा गया, जैसे थैले में किताब की जगह विस्फोटक सामग्री न हो? मकान मालिकों ने कमरे तक किराये पर देने से मना कर दिया।

इस वर्ष यूपी, उत्तराखंड में मिली जीत, और फिर गोवा, मणिपुर में कांग्रेस से पिछड़कर भी सत्ता हथियाने का चमत्कार करने के बाद, बीजेपी के नेताओं ने खुद को अजेय घोषित कर दिया। 2019 की जीत पक्की मानकर, 2024 के चुनाव की चर्चा होने लगी।

यहां तक कि भाजपा के नेता 2022 तक “न्यू इंडिया” बनाने का ऐलान करने लगे जबकि उनका मौजूदा कार्यकाल 2019 तक ही है।

मोदी जी ने युवाओं को साथ लेकर नया भारत बनाने की राह पकड़ी ही थी किन्तु लगता है युवा पुराने भारत में लौट जाना चाहते हैं। आखिर क्यों इन दोनों जगह भाजपा की छात्र इकाई ABVP को हार का स्वाद चखना पड़ा? मामला कुछ भी हो किन्तु अब राइट विंग को समझना होगा की आपने लेफ्ट विंग को हिलाया है गिरा नहीं पाए।

2019 की बात छोड़कर 2022 की बात करने वाले देश के प्रधानमंत्री को सोचना चाहिए कि युवा उनसे दूर क्यों हुआ है। आखिर इसका कारण खोजना होगा कि खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले हफ्ते युवाओं को अहमदाबाद में संबोधित करते हुए यह तक सलाह दी कि सोशल मीडिया पर भाजपा विरोधी अभियान से बचें।

यह सबकुछ चकित करने वाला है। आखिर देश में पांच सालों में ऐसा क्या बदल गया? जिस भाजपा के लिए सोशल मीडिया चुनाव का अहम हथियार हुआ करता था, आज वही भाजपा इससे लोगों को बचने की सलाद दे रही है! बिलकुल ऐसी ही सलाह कभी कांग्रेस पार्टी दिया करती थी।

अमित शाह ने युवाओं से तथ्यों के आधार पर वोट देने की अपील की है। लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं के हाथ ऐसे कौन से तथ्य हैं जिनके आधार पर उनसे वोट मांगी जा रही है? राष्ट्रवाद, देशभक्ति, वंदे मातरम, गौ माता, JNU में टैंक, और मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों पर भाजपा के पास एक रटा-रटाया पाठ है लेकिन आज का युवा जो रोज़गार और शिक्षा का सवाल पूछ रहा और इन सवालों के जवाब पार्टी के मौजूदा सिलेबस में नहीं हैं।

2016 में अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान बराक ओबामा ने कहा था कि डर लोकतंत्र को मारता है, डर बोलने से रोकता है।

इसलिए ज़रूरी है कि लोकतंत्र के लिए भारत में बोला जाए। हर बात पर राष्ट्रवाद का इंजेक्शन देने वालों यह बात समझनी होगी।

The post राष्ट्रवाद का भरपूर खुराक पिलाने के बाद भी क्यों हार गई ABVP appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 8261

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>