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योगी जी सरकारी चॉपर में राम आ सकते हैं तो ऑक्सीजन सिलिंडर क्यों नहीं?

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आदरणीय,
योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश,

मैं भी आपकी ही तरह एक हिंदू हूं और कहीं न कहीं उत्तरप्रदेश से जुड़ा रहा हूं। छठी कक्षा में मैंने रामायण पहली बार पढ़ी और शायद तबसे ही राम भक्त बन गया। इस वर्ष मेरे घर भी दिवाली का पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। मेरे घर का पूजन आपके अयोध्या के महोत्सव जैसा भव्य तो नहीं था लेकिन उम्मीद करता हूं कि इससे जुड़ी मेरी और आपकी भावनाएं कुछ एक सी ही रही होंगी। घर के एक कोने में श्री राम की मूर्ति थी, अखबार में आया सरस्वती माता, लक्ष्मी माता और गणेश जी का एक पोस्टर था और कुछ फूल मालाएं थी। आपकी दीवाली में हेलिकॉप्टर से उतरते प्रतीकात्मक श्री राम लक्ष्मण और सीता थे, साथ में एक और हेलिकॉप्टर भी था उनपर फूलों की वर्षा के लिए।

टी.वी पर देखने पर तो वास्तव में लग रहा था कि श्री राम का अयोध्या की भूमि पर आगमन हो रहा है। लोगों का हुजूम था, नेताओं का जमावड़ा था और आम जनता थी, आस्था भरी निगाहों से हाथ जोड़े हुए। यह वो हिस्सा था जो हम सबने टी.वी पर देखा लेकिन क्या आपने ध्यान दिया, इस भीड़ में एक तबका ऐसा भी था जिनके हाथ तो आस्था में जुड़े हुए थे लेकिन आंखों में शिकन थी और चेहरे पर बेहद दर्द था। मेरा यह पत्र उन लोगों से आपको अवगत कराने के लिए है।

Deepotsav 2017 In Ayodhya By Yogi Adityanath
दीपोत्सव के बाद दीपों से बचा हुआ तेल इकट्ठा करते बच्चे

यह एक तस्वीर आपके अवलोकन के लिए साझा करना चाहता हूँ:

यह लोग कोई और नहीं आपके ही प्रदेश के नागरिक हैं जिनकी दीवाली अगले दिन कुछ इस तरह मनी। आपके 1 लाख 70 हज़ार जलाए गये दीपकों ने शायद कुछ इस तरह इनकी ज़िंदगी में थोड़ा प्रकाश भरा। महोत्सव के खत्म होने के बाद यह लोग बोतलों में दीपक का बचा हुआ तेल भरते नज़र आएं, इनमें से कुछ इस तेल को बेच देंगे और शायद कुछ के घर का इससे चूल्हा ही जल जाएगा। पर मेरा सवाल इन सबसे परे है, इन बेहद संवेदनशील तस्वीरों से अलग है। मेरा सवाल आपसे इन लोगों की तरफ से है।

अयोध्या की अधिकतर जनता के घरों को रौशन तो शायद आपने अपने 1 लाख 70 हज़ार दीपकों से कर दिया लेकिन इन लोगों के जीवन को रोशन कौन करेगा? मेरा सवाल आपकी प्राथमिकताओं को लेकर भी है

एक ऐसे प्रदेश में जहां बच्चे अस्पतालों में मर रहे हैं, एक ऐसे प्रदेश में जहां दीवाली के बचे हुए दीपकों का तेल लोगों के चूल्‍हे जला रहा है, वैसे प्रदेश में क्या हेलिकॉप्टर से राम जी को अवतरित करने का खर्चा न्यायोचित है?

मुझे इस वक़्त रामचरितमानस की वह चौपाई याद आती है- “रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई”

19 मार्च 2017 को आपने शपथ ग्रहण समारोह में उत्तरप्रदेश की जनता को भी एक वचन दिया था। यह वचन था उनके हितों में कार्य करने का, उनके दुखों को दूर करने का और अपने प्रदेश को एक खुशहाल प्रदेश बनाने का। इस दीवाली के महोत्सव के बाद की इन तस्वीरों ने मुझे आपके उस वचन को याद दिलाने पर विवश कर दिया। मैं अयोध्या में इस दीवाली के पर्व के राजनीतिक पक्ष को नहीं समझना चाहता, ना ही मैं राजनीति का ज्ञान रखता हूं लेकिन यह कुछ सवाल हैं मेरे, जो एक आम नागरिक की हैसियत से आपके समक्ष रखना चाहता हूं।

रामचरितमानस की उक्त चौपाई के सार्थक होने के इंतज़ार में आशा और विश्वास के साथ,

एक आम नागरिक,
संदेश चौरसिया

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