How Can We Even Imagine A Republic, Secular And Democratic India Without A...
We are living in the 21st century and that too in a nation which is known as the biggest democracy. However, before we do so, we must take an insight into our internal situations and democratic...
View Article“मेरे द्वारा लिखी गई बस्तर की स्टोरी जिसे अखबार ने नहीं छापा”
दंतेवाड़ा व बस्तर क्षेत्र में कॉरपोरेट ताकतें लंबे समय से जल, जंगल और ज़मीन को लूट रही है। प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज़ बस्तर के लोहांडीगुड़ा क्षेत्र पर टाटा की नज़र है, जो प्रशासन की मदद से झूठे...
View Article“बिहार में मेरे साथी पत्रकार को बंदूक की नोक पर धमकियां दी गईं”
मैं अपनी बात, एक घटना का ज़िक्र करते हुए शुरू करूंगा। बमुश्किल डेढ़-दो साल पहले की बात है जब मैं अपने अखबार के लिए घुमंतू रिपोर्टिंग करता था और इस दौरान अक्सर बिहार के ज़िलों और कस्बों के पत्रकारों से...
View ArticleVote Banks That Should Really Matter
Disclaimer: I don’t support vote bank politics by its textbook meaning, but when I use the term here I mean a particular group or community whose issues become central to electoral competition and ever...
View ArticleWhere Does Press Freedom In India Stand On This World Press Freedom Day?
This World Press Freedom Day is an apt occasion for us to pay our tributes to Amit Topno, a young journalist from Jharkhand who was shot dead on December 9 last year, by attackers who remain untraced...
View Article“नेता जनता के सर्विस प्रोवाइडर होते हैं, उन्हें मसीहा मत बनाइए”
कॉंग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी और बीजेपी समेत तमाम पार्टियों के लिए यह चुनाव सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां एक ओर महागठबंधन अपना अस्तित्व बचाने की फिराक में दिख रहा है, तो वहीं बीजेपी दूसरी बार जनता...
View Articleलंबे विवाद के बाद अब 24 मई को रिलीज़ होगी फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’
लंबे विवाद के बाद आखिर ओमुंग कुमार की बहुचर्चित फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी को रिलीज़ डेट मिल ही गई। पीएम मोदी के जीवन पर आधारित यह बायोपिक पहले 11 अप्रैल को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन चुनावी माहौल को देखते...
View Article“मैं देश का युवा हूं और इन वजहों से मेरे लिए कन्हैया एक उम्मीद है”
सुना था बाल मन को जिस सांचे में ढालो वह ढल जाता है। बात सही भी है। बचपन में हर बच्चा एक खाली कैनवास की तरह होता है, जिसपर हम जो रंग भरना चाहे भर सकते हैं। यह बात परीवार और आसपास के पर्यावरण पर मज़बूती...
View ArticleNuances Of A Democracy
I was left speechless when an old man approached me with a peculiar question saying “I want Modiji to be the prime minister of India but his MPs are lackadaisical in their approach from their...
View ArticleHitler Had Revived His Country’s Economy, BJP Has Only Broken It: Arundhati Roy
As told to Shikha Sharma: Arundhati Roy is hoping the BJP government will lose the upcoming general elections, but knows that the influence of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) will continue to...
View Article“क्यों पूंजीवादी व्यवस्था को मार्क्स के विचारों से खतरा है”
जब मै 12वीं कक्षा में था, तब भी मैं राजनीतिक विज्ञान का छात्र था। उस वक्त भी मार्क्स को पढ़ता था लेकिन तब मार्क्स को मात्र एक अन्य विचारकों के समान राजनीतिक विचारक और साम्यवाद को मात्र एक चिंतक के...
View ArticlePM मोदी के वादों की पड़ताल: “जुमलों से पेट नहीं भरता साहेब”
देश को ‘पानीपत’ बनाने की तैयारी की जा रही है। 2019 के संसदीय चुनाव को एक निर्णायक युद्ध घोषित करने पर ज़ोर दिया जा रहा है और एक पक्ष द्वारा सिद्ध करने की होड़ मची है कि उसका नायक हार स्वीकार नहीं कर...
View ArticleThis Election, Let Us All Unite And Save The World’s Largest Democracy!
Our only hope is the wisdom of Indian citizens who can destroy this attack on India, which has been and should always be a secular state. Image via Getty Today, as a nation we are facing an election...
View Articleसरकार पूंजीपतियों के लिए काम करने लगे तो कहां जाएं गरीब किसान?
साथियों, लोकसभा चुनाव चल रहा है। वैसे हमने इस बीच विधानसभाओं के चुनाव देखे हैं। अब तो टीवी पर चुनाव से सम्बंधित खबरें सिर्फ एक मनोरंजन सामग्री बनकर रह गए हैं, जहां व्यापार से लेकर पूंजीवाद की दलाली की...
View ArticleOur Inability To Raise Questions Has Allowed Fake News To Flourish
Counter questioning or raising a debate or even giving another perspective has always been considered bad manners or arrogance. Image via Flickr With the Indian elections gobbling most of our social...
View Article“असहमतियों के बीच भी क्यों ज़रूरी हैं कार्ल मार्क्स?”
विश्व में बहुत कम व्यक्ति हुए हैं जिनसे सहमत-असहमत होने के बाद भी उनपर बहसों का सिलसिला जारी रहा हो। कार्ल मार्क्स भी उन्हीं दुर्लभ व्यक्तियों में से एक हैं, जिनपर बौद्धिक जमात ने केवल बोलकर ही नहीं,...
View Article“नेता डर दिखाकर वोट मांगने लगे तो समझिए आपके मुद्दों के साथ मज़ाक है”
प्रजातंत्र के इस महापर्व में भाषणों के ज़रिये वैमनस्यता की राजनीति की जा रही है, जो हमारे देश के आने वाले भविष्य के लिए कितना खतरनाक और विध्वंसक होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन उससे भी अधिक...
View Article“कचहरी और पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार को मैंने करीब से देखा है”
जब तक देश के असहाय, गरीब व हर तबके के लाोगों को उनका हक नहीं मिलेगा तब तक हमारी आज़ादी अधूरी है। भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य, लचर शिक्षा व्यवस्था, बेरोज़गारी, महिला सुरक्षा, जातिवाद और देश के टुकड़े करने की...
View Article“रविश, PM मोदी की आलोचना करते हुए आप तो ज़हर ही उगलने लगे”
भारत के मशहूर पत्रकार रविश कुमार ने अक्षय कुमार और नरेंद्र मोदी के गैर राजनीतिक इंटरव्यू पर प्राइम टाईम किया। वह प्राइम टाईम देखने के बाद मैं कह सकता हूं कि मोदी जी को कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी...
View Article“यह मेरा पहला मतदान है और मैं नोटा का बटन दबाऊंगा”
6 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण का मतदान होना है, जिसमे बिहार, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 51 लोकसभा सीटों के नतीजे ईवीएम में कैद हो जाएंगे। उत्तर...
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