प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया के इस्तेमाल की अच्छी खासी पकड़ रखते हैं और उस पर एक्टिव भी रहते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी से अच्छा सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत में तो क्या शायद दुनिया में कोई और राजनेता नहीं कर पाया। लेकिन, अब यही सोशल मीडिया प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बड़ी परेशानी भी बनता जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगने लगे हैं कि वो कुछ चुनिंदा मामलों में ही सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता दिखाते हैं और कई बड़े मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं। जैसे विराट कोहली के फिटनेस चैलेंज पर प्रधानमंत्री मोदी ने जितनी सक्रियता दिखाई उतनी सक्रियता महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर नहीं दिखाई।
अक्सर ऐसे मुद्दों पर देश के प्रधानमंत्री चुप्पी साध कर बैठ जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का मुद्दों को लेकर यही चयन अब दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मन में शंका पैदा करने लगा है।
जिस सोशल मीडिया के ज़रिए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के दिलों में जगह बनायी अब उसी सोशल मीडिया पर कुछ मुद्दों पर चुप्पी साधना उन्हें देश के सबसे बड़े समुदाय से दूर भी कर रहा है।
देश में महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ रहे हैं। किसान मुसीबत में है। एक धर्म विशेष की आड़ में भीड़ सड़क पर चलते किसी भी शख्स को पीट-पीटकर मार देती है और प्रधानमंत्री मोदी चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक धर्मस्थल के अंदर मासूम बच्ची के साथ हैवानियत को अंजाम दिया जाता है, गाज़ियाबाद के मदरसे में मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की जाती है और प्रधानमंत्री मोदी खोमोश रहते हैं।
कहीं दलितों को बारात नहीं निकालने दी जाती, कहीं मंदिरों में प्रवेश करने पर पीटा जाता है, कहीं तालाबों और कुओं पर कब्ज़ा कर दलितों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाया जाता है, किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर अतिसक्रिय रहने वाले देश के प्रधान सेवक खमोशी साध लेते हैं।
ताज्जुब होता है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले पीएम नरेंद्र मोदी आखिर बड़े सामाजिक मुद्दों पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये चुप्पी कहीं 2019 में बीजेपी के लिए भारी न पड़ जाए?
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