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धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाले भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’घोषित करने की यह कैसी होड़?

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15 अगस्त 1947 को भारत जब आज़ाद हुआ तब साहिर लुधियानवी, निदा फाज़ली और देश के साढ़े तीन करोड़ मुसलमानों ने एक इस्लामिक राष्ट्र को तरजीह ना देकर भारत को चुना। धार्मिक वातावरण को ना चुनकर उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को चुना। 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ तब भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ जिसमें बिना भेदभाव के जीने की आज़ादी थी।

जब संविधान सभा ने देश का संविधान लिखा था तब संविधान की प्रस्तावना में सैकुलर (धर्मनिरपेक्षता), सोशलिस्ट (समाजवाद) व इंटैग्रिटी (अखंडता) शब्द नहीं थे, संविधान के 42वें संशोधन के दौरान ये शब्द प्रस्तावना में जोड़े गए।

भारत हमेशा से एक सहिष्णु राष्ट्र माना जाता है, इसलिए यहां पर इतनी विविधताएं हैं। भारत ने सबसे ज़्यादा विदेशी आक्रमण झेले हैं लेकिन अपनी उदार छवि के कारण आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

कई संगठनों द्वारा पिछले कुछ समय से भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग की जा रही है। धार्मिक लोग अपने धर्म को सर्वोच्च मानते हुए चाहते है कि उनके धर्म का विस्तार हो। बहुत से लोगों को हिन्दू राष्ट्र का सपना सुहावना लग सकता है लेकिन धर्म के आधार पर बनाये गए सभी राष्ट्रों की अस्थिरता का उदहारण हमारे सामने है।

मैं कोई दावा नहीं कर सकता कि अगर भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाएगा तब तालिबान जैसी स्थितियां उत्पन्न होंगी लेकिन धर्म आधारित राष्ट्र बनाने पर कट्टरता बढ़ेगी और आपसी धार्मिक झगड़े बढ़ जाएंगे। फिर हिन्दू राष्ट्र, तालिबान और आईएसआईएस में क्या फर्क रह जायेगा।

शायद एक वक्त  ऐसा भी आए जब हिन्दू राष्ट्र के साथ अन्य राष्ट्रों की लड़ाईयां होने लग जाए जिससे आतंकवाद को और मज़बूती मिलने लगे। भारत में बोलने, पहनने और रहने की आज़ादी है। अफगानिस्तान और ईरान में 1970 में ऐसी ही आज़ादी थी लेकिन धार्मिक राज और शरिया कानून आने के बाद वहां की स्थिति सबके सामने है।

अफगानिस्तान तो आज आतंकवाद का गढ़ हैं। ईरान में एक स्त्री को बस इसलिए फांसी दे दी जाती है क्योंकि उसने पुरुषों का वॉलीबॉल मैच देखा था। दहशतगर्दी और धार्मिक प्रचार वहां चरम पर है। सरकार को किसी आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 100 बार सोचना पड़ता है। कई आतंकी संगठनों को वहां की सेना, इंटेलिजेंस एजेंसी और यहां तक कि सरकार की भी सहायता प्राप्त है। अमेरिका भी हर साल आर्थिक सम्पन्नता के लिए खरबों की मदद देता है।

हिन्दू धर्म की भी अपनी रूढ़िवादी सोच और कानून हैं। उनके लागू होने पर अगर कोई उनकी अवहेलना करे तो उसका परिणाम हम जानते हैं। हिन्दू राष्ट्र के बहाने कुछ धार्मिक संगठन बीच -बीच मे कोई मुद्दा छेड़ते रहते हैं। हिन्दू राष्ट्र में धार्मिक टकराव भारत को अस्थिरता की ओर ले जायेगा और शायद एक वक्त ऐसा आएगा जब हिन्दू राष्ट्र और आईएसआईएस आपस में लड़ रहे होंगे।

भारतीय मुसलमानो को भी सशक्त बनना होगा। धार्मिक कट्टरता और उन्माद छोड़कर शिक्षा की ओर बढ़ना होगा। आज़ादी के बाद मुसलमानो को बस वोट बैंक का ज़रिया बनाया गया है। राजनीतिकरण को नकार कर आगे बढ़ना होगा। भारत जैसे लोकतंत्र में एकछत्र सोच का चलना नामुमकिन हैं, इसलिए बेहतर हैं कि सब भारतीय बिना किसी भेदभाव के आपस में मिलकर रहें।

The post धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाले भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने की यह कैसी होड़? appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


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