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रिश्वत लेते पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूटने की परंपरा कब खत्म होगी?

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मौजूदा दौर में हर स्तर पर भ्रष्टाचार का विस्तार हो चुका है। कोई भी विभाग भ्रष्टाचार से वंचित नहीं रह गया है। सरकारी और जन सेवा से सबंधित प्रतिष्ठानों का तो सीधा-साधा अर्थ ही भ्रष्टाचार का संवैधानिक अड्डा है। आज धर्म, समाज, राजनीति, साहित्य, कला और संस्कृति आदि का भी कोई कोना ऐसा नहीं बचा है जहां भ्रष्टाचार के कदम नहीं पहुंचे हैं। सारी व्यवस्था ही लेन-देन पर अाधारित पूर्णतः कलियुग से प्रभावित होकर रह गई है। अर्थात, एक हाथ से रिश्वत दो और दूसरे से अपना काम करवा लो।

छोटा-बड़ा कोई भी कार्य बिना रिश्वत के नहीं हो सकता। जनता से सीधे सम्पर्क रखने वाले सरकारी, अर्द्ध सरकारी और जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के संस्थानों में भी भ्रष्टाचार पांव फैलाए हुए है। उसके चरणों में चढावा चढ़ाते जाइये, काम होने की संभावनाएं बनी रहेगी।

आज जिस प्रकार से इतना ताम-झाम फैलाकर मंहगे चुनाव लड़े जाते है, किसी समान्य सी धार्मिक या स्वाभाविक संस्था तक का चुनाव लड़ने में व्यक्ति पागल की तरह प्रयास करता है। वह इसलिए कि उसे व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार करने का एक प्रकार से लाइसेंस प्राप्त हो जाता है। यहां तक कि सड़कें बनती नहीं, कुएं खुदते नहीं, हैंडपंप लगते नहीं, कोई उपकरण खरीदी तक नहीं जाती, मगर लाखों-करोड़ों के बिल पास होकर भुगतान भी हो जाते हैं । जब तक ऐसा करने वालों का पता लगता है, तब तक व्यवस्था बदल चुकी होती है।

इसे आप एक कमाल ही कह सकते हैं कि भारतीय इंजीनियर बिना नींव खोदे ही कई-कई मंज़िला मकान खड़े कर देते हैं। यह भारत ही है जहां कागज़ों में हज़ारों कुएं तक खोदे जाते है।

किसी की सारी जमा-पूंजी लगाकर बनाया घर हड़प लिया जाता है। पीड़ित और अराजक तत्वों द्वारा सब कुछ लूट लिए जाने पर भी आप थाने में तब तक रिपोर्ट नहीं लिखवा सकते, जब तक कि लिखने वाले की मुट्ठी गर्म ना कर दें।

न्यायाधीश के बगल में बैठ कर उसका पेशकार रिश्वत ले रहा होता है, पर रिश्वत के विरूद्ध निर्णय सुना रहे न्यायाधीश महोदय की दृष्टी उधर नहीं जाती।

हिंसक, असामाजिक, और अराजक तत्व खुले तौर पर मनमानी करते फिर रहे हैं, ट्रक के ट्रक अवैध माल ले जाने वाले को कोई पूछता तक नहीं मगर किलो भर वस्तु घर के लिए ज्यों-त्यो करके ले जानेवाला ब्लैक के नाम पर पकड़ा जाता है। इस प्रकार वास्तव में चारों ओर भ्रष्टाचार का राज है। उनके बल पर छोटा-बड़ा कोई भी काम करवा लीजिए, रिश्वत लेते पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूट जाइये , मगर सामान्य ढ़ंग से छोटे से छोटे काम करवा पाना संभव नहीं है। हमारे देश में तो मंत्री तक भ्रष्टाचार से घिरे हुए है।

भ्रष्टाचार खत्म करना हमारे देश के नेताओ के वश की नहीं है। हम युवा ही भ्रष्टाचार का मुकाबला करेंगे और इसे जड़ से उखाड़ फेकेंगे।

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