Quantcast
Channel: Politics – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 8247

“मुस्लिम होने के बावजूद मैंने बीजेपी को वोट दिया”

$
0
0

जी हां, मुसलमान होने के बावजूद मैंने बीजेपी को वोट दिया है और ऐसा करने की एक नहीं कई वजह हैं। सबसे पहले में यह बता दूं कि मैं नरेंद्र मोदी का समर्थक नहीं हूं और ना ही बीजेपी ने मेरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए हैं।

मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का रहने वाला हूं और इस लोकसभा चुनाव में मेरे सामने 3 बड़े प्रत्याशी थे। बीजेपी से राजनाथ सिंह, काँग्रेस से आचार्य प्रमोद कृष्णा और महागठबंधन से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा।

इनके अलावा मेरे हिसाब से किसी छोटे दल के या किसी निर्दलीय नेता को वोट देना वोट की बर्बादी होती और कुछ भी नहीं। तमाम राजनीतिक छींटाकशी, उतार-चढ़ाव और विश्लेषण करने के बाद मैंने बीजेपी को वोट देने का फैसला किया।

मैंने अभी तक यह बात किसी को नहीं बताई है क्योंकि लोग मुझे मेरे धर्म से बेदखल करने के लिए तैयार बैठे हैं। पता नहीं उनको यह हक किसने दे दिया। मेरे धर्म का पालन मेरे किसी राजनीतिक पार्टी को वोट देने से कैसे तय हो सकता है?

अटल विहारी बाजपेयी। फोटो साभार: Getty Images

लखनऊ की सीट उत्तर प्रदेश की हॉट सीट में से एक है। इस सीट पर 1991 से बीजेपी का कब्ज़ा रहा है और इसी सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी सांसद रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के राजनाथ सिंह को जीत मिली थी और उसके बाद वह देश के ग्रहमंत्री भी बने।

इस बार भी इस सीट से वे ही बीजेपी के उमीदवार थे और उन्ही का पलड़ा भी सबसे मज़बूत था। पहले खबर आई कि काँग्रेस लखनऊ से अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी और बीजेपी और महागठबंधन में सीधी टक्कर होगी।

जहां महागठबंधन ने अपनी प्रत्याशी पूनम सिन्हा को देर से मैदान में उतारा वहीं, काँग्रेस ने अंत समय आते-आते आचार्य प्रमोद कृष्णन को उतार कर पता नहीं क्या करने की कोशिश की। दोनों ही दलों ने ना सिर्फ कमज़ोर उमीदवार मैदान में उतारे, बल्कि उनको लाने में इतनी देर की कि जनता को उन्हें समझने का समय ही नहीं मिला।

बीजेपी से निकलकर काँग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें राजनाथ से टक्कर लेने की ज़िम्मेदारी दी जो कि अपने आप में एक हार मान लेने वाले कदम जैसा था। काँग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा ने गठबंधन की रैली में अपनी पत्नी के लिए वोट मांगे जो कि उनकी ही पार्टी से लखनऊ उमीदवार प्रमोद कृष्णन के गले नहीं उतरी और उन्होंने ट्वीट कर के उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई।

गठबंधन का नाटक लखनऊ की जनता समझती थी

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी रैली और जन-सभाओं में बीजेपी के साथ-साथ काँग्रेस पर जमकर हमला बोला। यहां तक कि मायावती ने तो अपनी एक रैली में कह दिया था कि मुसलमान काँग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद ना करें। दलित, यादव और मुस्लिम जैसी जातियों का समीकरण बिठाकर बने इस गठबंधन का यह सारा नाटक पूरी लखनऊ की जनता को दिख रहा था।

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव। फोटो साभार: Gety Images

एक पढ़ा-लिखा नौजवान होने के नाते मुझे यह पता है कि संसदीय लोकतंत्र में हम अपना सांसद चुनते हैं ना कि प्रधानमंत्री। बाकी लोग चाहे कुछ भी करें, मैंने वही किया जो मुझे सही लगा। मेरे सामने सांसद के लिए राजनाथ सिंह से बेहतर कोई विकल्प मौजूद नहीं था लिहाज़ा मैंने बीजेपी को वोट दिया।

वैसे भी अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका गाँधी के पास लखनऊ और देश के विकास के लिए क्या ब्लूप्रिंट था? उनका पूरा चुनावी अभियान केवल ‘मोदी हटाओ’ पर आधारित था। वे खुद सीधे-सीधे पीएम पर हमला कर रहे थे और कह रहे थे कि अपना एमपी चुनिए।

बीजेपी से मुस्लिमों को कोई दुश्मनी है क्या!

क्या मुस्लिम होने के नाते मैंने बीजेपी को हराने की ज़िम्मेदारी ले रखी है? मैं जानता हूं कि बीजेपी की सरकार में मुसलमानों और दलितों पर कट्टरपंथियों के हमले बढ़े हैं और आगे भी ऐसा होने की सम्भावना अधिक है लेकिन क्या काँग्रेस के राज में मुस्लिम समुदाय एकदम सुरक्षित था?

राहुल गाँधी, अखिलेश यादव या फिर मायावती ने कितनी बार अपनी चुनावी सभाओं में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ बोला? मोदी की बुराई करने के अलावा इन लोगों ने अपनी सभाओं में किया ही क्या?

जब यह सीधे पीएम पर हमले कर रहे थे, तब जाने-अनजाने में यह लोगों का ध्यान मोदी की तरफ ही ले जा रहे थे, जिसका फायदा बीजेपी में बखूबी उठाया। ये लोग भूल गए कि पीएम पर हमला करके अगर ये लोगों के मन में पीएम की छवि बिगाड़ भी देंगे, तब भी इनके पास लोगों को दिखाने के लिए क्या बेहतर विकल्प है?

कम-से-कम पीएम मोदी मुसलमानों पर हो रहे हमलों के बारे में खुलकर बोलते हैं और राजनाथ सिंह जैसे साफ छवि का नेता किसी भी पार्टी में मौजूद नहीं है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने कमल का बटन दबाया।

The post “मुस्लिम होने के बावजूद मैंने बीजेपी को वोट दिया” appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 8247

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>