23 साल के जीवन में ज़्यादा कुछ तो नहीं देखा मगर यह तो देखा ही है कि इससे पहले भी कई पार्टियां जीतती रही हैं और जीतकर सरकारें बनाती रही हैं। इन सबके बीच ऐसा पहली बार देख रहा हूं कि किसी पार्टी की जीत के आंकड़ों के आधार पर उसके खिलाफ उठ रही आवाज़ों को दबाया जा रहा है। ऐसा करने वाले लोग दो तरह के हैं। पहले तो वे जो खुलेआम सोशल मीडिया पर गाली और जान से मारने की धमकी देकर आलोचना करने वालों का मुंह बंद...
↧