भारतीय संसद की पहली बैठक और सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर राष्ट्र की अखंडता, एकता, संसदीय गरिमा और पवित्रता बनाए रखने का संकल्प लिया जाता है, जिससे लोकतांत्रिक मूल्य और सिद्धांत मज़बूत हो सके। इस बार संसद का शपथ ग्रहण समारोह देखकर लग रहा था, जैसे यह कोई जागरण, कीर्तन, जमात और मुशायरे के लिए मंडली चुनी जानी हो। बस ढोल तासें नहीं बजाये गएं। अगर ये भी कर देते तो माहौल थोड़ा और भक्तिमय हो...
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