समाजवादी पार्टी के तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बीच ताजा समाचार मिला है कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी हो गई है। ये सुलह कराने में पार्टी के अहम नेता आजम खान ने बड़ी भूमिका निभाई है।
माना जा रहा था कि आज अखिलेश किसी बड़े कदम का ऐलान कर सकते हैं, वहीं शिवपाल खेमे से खबर आ रही थी कि मुलायम सिंह यादव ही मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले हैं। फिलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ और कम से कम तात्कालिक रूप से सुलह हो गई है।
सुबह ही अखिलेश यादव ने अपने सारे समर्थक विधायकों को बुलाया और करीब 200 विधायक उनके आवास पर पहुंचे। माना जा रहा है कि विधायकों के बीच बहुमत दिखाकर अखिलेश ने अपनी ताकत दिखाई जिसके बाद मुलायम सिंह यादव को अपने कदम पीछे हटाने पर तैयार हुए।
इसके अलावा, आजम खान ने दोनों में से किसी एक का पक्ष न लेते हुए सुलह का रास्ता अपनाया जो कि कारगर रहा। दरअसल झगड़ा जहाँ तक पहुंच गया था, वहाँ प्रतिष्ठा की भी बात हो गई थी। ऐसे में आजम खान ने दोनों का मेल कराया।
बहुत ही भावुक माहौल में हुई बातचीत में गिले-शिकवे बह गए और मुलायम सिंह ने भी अखिलेश की कई बातों पर सहमति जताई। अखिलेश ने भी पूरी निष्ठा जताई और कहा कि वो किसी भी सूरत में पिता का साथ नहीं छोड़ना चाहते।
अखिलेश यादव और आजम खान ने पार्टी में विवाद की जड़ माने जा रहे अमर सिंह को निकालने की मांग रखी। अभी यह तय नहीं हो सका है कि सुलह में और कौन-कौन से फॉर्मूले तय हुए हैं।
अखिलेश यादव के निकाले जाने के बाद से पार्टी में हावी हो रहे शिवपाल सिंह यादव अब कुछ मायूस भी लग रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि वो बाजी जीतते जीतते रह गए हैं। हालाँकि, अखिलेश और रामगोपाल यादव के निष्कासन रद्द होने की घोषणा भी शिवपाल सिंह यादव से ही करवाई गई।
अब इसके बाद टिकटों के बँटवारे को लेकर माना जा रहा है कि सब कुछ फिर से तय होगा। हालाँकि सीटों के बंटवारे को लेकर बहुत ज्यादा विवाद है नहीं क्योंकि 403 में से करीब 50-60 सीटों पर ही विवाद हो सकता है और बाकी नाम दोनों की ही सूची में थे।
इस बीच अखिलेश यादव के खेमे से ये भी पुष्टि हो गई है कि 1 जनवरी को पार्टी का जो राष्ट्रीय सम्मेलन महासचिव रामगोपाल यादव ने बुलाया था, वह रद्द नहीं हुआ है। अब हो सकता है कि वो सम्मेलन अब दोनों धड़ों की सहमति से अधिकृत सम्मेलन माना जाए।
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