मुझे बदनाम करने को सिर्फ मैं ही काफी हूं, क्या हैसियत तुम्हारी, जो मुझे बड़ा कर पाओ। मानवीय जीवन में यह एक आम घटना है, जब हम अवसाद में होते हैं तब सोचने, समझने की क्षमता क्षीण होने लगती है। निर्णय क्षमता विचलित होने लगती है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गॉंधी भी शायद इसी प्रकार के अवसाद से ग्रसित दिखाई दे रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है, हमारे रिपोर्ट कार्ड में यदि हमें ग्रेस मार्क्स से पास...
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