अल्लामा इकबाल ने कहा था ‘मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’ लेकिन ऐसा कोई मज़हब वजूद में नहीं है। आज तो मज़हब में बारूद और माचिस की कमी नहीं है। इस्लाम को तो लेकर एक खास धारणा का वैश्विक निर्माण ही किया गया है। ठीक वैसे ही जैसी कैफियत शताब्दी भर पहले यहूदियों को लेकर यूरोप और उनके तमाम उपनिवेश में देखी गई। दुनिया को शांति का उपदेश देने वाले बौद्ध धर्म के अनुयाईयों ने रोहिंग्या मुसलमानों...
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